देश भर के सिनेमाघरों में आज रिलीज होगी अभिनेता पंकज दुबे अभिनीत फिल्म "होम बाउंड"
Actor Pankaj Dubey starrer "Home Bound" will release in cinemas across the country today.
ऑस्कर में पहुंचने वाली फिल्म के अभिनेता पंकज दुबे के संघर्ष की दास्तान।
उमरिया।जिले के निवासी और फिल्मी दुनिया में कई फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता पंकज दुबे अभिनीत "होम बाउंड" फिल्म 26 सितंबर को अखिल भारतीय सिनेमा में रिलीज होने जा रही है,उमरिया जैसे छोटे शहर के लिए यह गर्व की बात तो है साथ ही लंबे संघर्ष के बाद मिलने वाले सुखद परिणाम की कहानी भी जो लोगों के लिए प्रेरणादायी भी है,होम बाउंड फिल्म को प्रसिद्ध निर्देशक नीरज घेवान ने निर्देशित किया है मुख्य भूमिका में ईशान खट्टर,विशाल जेठवा और जाह्नवी कपूर हैं,होम बाउंड फिल्म जाति-व्यवस्था की कुरीतियों पर आधारित एक सच्ची घटना पर फिल्माई गई और उमरिया के पंकज दुबे इस फिल्म में मुख्य अभिनेता के पिता के किरदार में दिखाई देंगे जो दोनों पैर से अपाहिज हैं,फिल्म मार्मिक और सामाजिक मूल्यों को दर्शाती है और यही वजह है कि कांस फिल्म फेस्टिवल में जगह हासिल करने के बाद दुनिया के सबसे बड़े सिनेमा शो ऑस्कर के लिए नामांकित हुई है।
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रामलीला में किया मंचन फिर राष्ट्रीय पहुंचे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
पंकज दुबे मूलतः उमरिया के पुराना पड़ाव निवासी प्रिंसिपल स्व राघवेंद्र शर्मा के छोटे बेटे हैं जिनकी कला में शुरू से अभिरुचि रही है,यह बात 80 के दशक के आसपास की है,उनके घर के समीप ही प्रसिद्ध बहरा मैदान में सालाना रामलीला का आयोजन होता था और पंकज दुबे को नाटक की साधना का मूल मंत्र यहीं से मिला उनके मन मे जुनून जागा और रामलीला में मंचन का अवसर भी मिला जिसे उन्होंने बखूबी किया और दर्शकों की सराहना भी बटोरी,एक कदम नाट्य विधा की ओर जो पंकज दुबे ने बढ़ाया तो फिर बचपन मे ही दोस्तों के साथ मिलकर रामलीला के कई पात्रों का खेल खेल मे मंचन करते रहे।
उमरिया की तंग गलियों से लेकर आसान नहीं था ऑस्कर तक का सफर,
1986 में कॉलेज पहुंचने पर पहले साल ही पंकज दुबे ने उमरिया में तब की नामचीन भुक्कड़ नाट्य संस्था को ज्वाइन किया और रंगमंच की दुनिया में अपने हुनर को निखारने में जुट गए,बाद में 1999 में उनका चयन देश के तब के एक मात्र राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में हुआ और वहां से स्नातक के बाद उन्होंने रंगमंच और फिल्मी दुनिया दोनों में अपना पूरा योगदान देते रहे।
1997 में की संदेश नाट्य मंच (रंगमंडल) की स्थापना
नाट्य विद्या से स्नातक के पूर्व ही पंकज दुबे ने 1997 में नगर में संदेश नाट्य मंच की थी, और नाट्य विधा में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय जैसी देश की बड़ी संस्था से स्नातक होने के बावजूद फिल्मी दुनिया में रहकर अपने कैरियर को पंख नहीं दिया बल्कि उनका अपने नगर और अपनी माटी से जुड़ाव बरकरार रखने बनाए रखने के लिए संदेश नाट्य मंच जो जीवित रखा जो आज भी बदस्तूर थियेटर और रंगमंच के रूप में उमरिया के लोगों को अपनी कला की सेवाएं दे रहे हैं संदेश नाट्य मंच के कलाकारों की शिद्दत को देखते हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने इसे बाद में रंगमंडल का दर्जा दे दिया जो आज भी गांव कस्बों में थियेटर को जीवित किए हुए है।
अभिनय के अलावा और भी ..
पंकज दुबे को अभिनय के अलावा,डायरेक्शन,राइटिंग,लाइटिंग म्यूजिक,मेकअप,कॉस्टयूम में भी महारत हासिल है,उमरिया सहित भोपाल जबलपुर दिल्ली एवं मुंबई में देश के कई प्रसिद्ध नाटकों का मंचन कर चुके हैं जिसमें पंचलाइट ने भी सराहना हासिल की है।
अभिनेता बनने के जुनून से छोड़ी तीन सरकारी नौकरियां
अभिनेता पंकज दुबे के भीतर अभिनेता बनने का जुनून इतना सवार था कि जब वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में इंटव्यू की तैयारी कर रहे थे उसी दौरान उन्हें केंद्र सरकार की कोल इंडिया की नौकरी मिली लेकिन उन्होंने छोड़ दी इसके बाद दो और नौकरियों छोड़ी हालांकि तब तक वे नाट्य विद्यालय में दो बार इंटरव्यू में सफल नहीं हों सके तीसरी बार के प्रयास में उनका चयन एनएसडी के लिए हुआ।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रशिक्षण के दरमियान उन्होंने अभिनय का गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया, देश के जाने-माने और विश्व विख्यात अभिनय प्रशिक्षक एवं निर्देशकों के साथ उन्हें काम करने का मौका मिला जिसमे नसीरुद्दीन शाह,प्रसन्ना जी,प्रोफेसर देवेंद्र राज अंकुर,प्रोफेसर रामगोपाल बजाज,प्रोफेसर कीर्ति जैन,प्रोफेसर अनुराधा कपूर,प्रो.रोबिन दास प्रोफेसर रीटा कोठारी,रॉब क्लेयर (लंदन),पीटर जेम्स (लंदन), इज़तिक वेंगारटन (इजरायल. ) स्टीफन सुशके (जर्मनी)
सन् 2002 में स्नातक होने के बाद उन्होंने वही के सबसे बड़े रंग मंडल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के रंग मंडल में बतौर अभिनेता काम करना शुरू कर दिया था बाद में वहां से मुंबई मायानगरी का रुख किया।
पहली बार फिल्म हल्ला बोल में मिला ब्रेक-
पंकज दुबे ने मायानगरी में बतौर अभिनेता अपना संघर्ष शुरू किया और पहला ब्रेक निदेशक राजकुमार संतोषी और अभिनेता अजय देवगन के साथ फिल्म हल्ला बोल में मिला,उसके बाद उन्होंने फिल्म चिंटू जी जिसमे लीड रोल में ऋषि कपूर और निदेशक रंजीत कपूर थे में को एक्टर के रूप में काम किया और कुछ टीवी सीरियल्स में भी काम किया,
बाद में पंकज दुबे कुछ समय के लिए उमरिया लौट आए और स्वयं की सृजित नाट्य संस्था संदेश नाट्य मंच के माध्यम से लोगों के बीच थियेटर और रंगमंच को जीवंत बनाए रखने का काम किया।
दोबारा हुई धमाकेदार इंट्री और ऑस्कर में पंहुचा नाम
दोबारा मुंबई वापसी के बाद पंकज दुबे वेब सीरीज गर्मी (सोनी लिव)और ब्लैक वारंट पर काम कर रहे हैं जिसके कई एपिसोड आ चुके हैं,एक और वेव सीरीज में न्याय में काम कर रहे हैं जो शीघ्र रिलीज होने वाली है,इसमें मुख्य भूमिका में रघुवीर यादव और फातिमा सना शेख हैं।
और अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि जो एक अभिनेता अपने पूरे जीवन पर्यंत इस बात की तलाश में रहता है कि कभी कोई उसका काम राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए उसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाए ऐसी एक चाहत पंकज दुबे की.. उनकी फिल्म होमबाउंड जिसने दुनिया के बहुत बड़े कांस फिल्म फेस्टिवल और टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में अपनी टॉप पोजीशन लेकर आने के बाद अब दुनिया के सबसे बड़े फिल्मी पुरस्कार ऑस्कर के लिए देश की तरफ से भेजी जा रही है जो की इसी 26 सितंबर 2025 को देश के सारे सिनेमाघर में रिलीज होने जा रही है, इसमें उमरिया नगर के पंकज दुबे एक अहम किरदार में हैं,
माता पिता को दिया उपलब्धि का श्रेय
पंकज दुबे इसका श्रेय अपने माता-पिता के आशीर्वाद, ईश्वर की कृपा और पूरी उमरिया के अपने चाहने वालों उन सब के आशीर्वाद और दुआओं और शुभकामनाओं को देते हैं और कहते हैं कि यह एक पड़ाव है मंजिल नहीं,संघर्ष जीवन जाने की हद तक जारी रहेगा।
(ब्यूरो रिपोर्ट)



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