विश्व की सबसे उम्रदराज हथिनी का निधन,100 साल की थी वत्सला।
पन्ना ।दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनियों में शामिल वत्सला का निधन हो गया, पन्ना टाइगर रिजर्व में उन्हें 'दादी' के नाम से जाना जाता था. वह एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी थी.
पन्ना टाइगर रिजर्व की शान कहे जाने वाली नामचीन हथिनी वत्सला का मंगलवार को निधन हो गया. वह एशिया और दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी थी, जो 100 साल की हो चुकी थी. बताया जा रहा है कि यह हथिनी लंबे समय से बीमार चल रही थी, जहां डॉक्टरों ने उनका इलाज भी किया था. लेकिन पीटीआर में 'दादी' के नाम से फेमस हथिनी का निधन हो गया है, बता दें कि पन्ना टाइगर रिजर्व में वत्सला हाथियों के एक कुनबे में रहती थी जो उनका परिवार माना जाता था, उन्होंने यहां के हर एक हाथी का ख्याल रखा है. वह दूसरी हथिनियों के बच्चों को ख्याल रखती थी और हाथियों के नए बच्चों के समय भी सबका ध्यान रखती थी।
पन्ना टाइगर रिजर्व में हुआ अंतिम संस्कार
वत्सला की मौत की खबर मिलने के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व के सभी सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंच गए और आसपास जगह बनाई गई. बताया जा रहा है कि वत्सला का अंतिम संस्कार पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता कैंप में किया गया. यूं तो वत्सला को दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी माना जाता है, लेकिन सटीक जन्म का रिकॉर्ड नहीं होने की वजह से उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा सका था. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन की तरफ से सटीक उम्र जानने के लिए दांतों के सैंपल भी लैब में भेजे गए थे, लेकिन उसका कोई निश्चित परिणाम नहीं निकला था. लेकिन फिर भी उनका नाम विश्व की सबसे उम्र दराज हथनियों में शामिल किया जाता है।
केरल में हुआ था जन्म पन्ना बना घर
एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर के जंगलों में हुआ था, लेकिन 1971 में इस हथिनी को एमपी के नर्मदापुरम तब के होशंगाबाद लाया गया था, जहां वह 1993 तक रही और फिर वत्सला का अगला घर पन्ना टाइगर रिजर्व बन गया था. यहां शिफ्ट होने के बाद वत्सला हथिनी यही रही, 2003 में उन्हें रिटायरमेंट भी दे दिया गया था. जिसके बाद पन्ना के हिनौता कैंप में रहकर वह हाथियों की देखरेख करती थी।
बाघों की ट्रैकिंग में करती थी मदद
वत्सला पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की ट्रैकिंग में भी मदद किया करती थी. वह 10 सालों तक बाघों की ट्रैंकिग में मदद करती रही. 2003 में रिटायर होने के बाद वह लगातार हाथियों के बच्चों की देखभाल कर रही थी और नए हाथियों को गुर सिखाने का काम भी करती थी. वत्सला का स्वभाव बेहद शांतथा और वह गुस्सा नहीं करती थी.
सीएम मोहन यादव ने जताया दुख
वत्सला के निधन पर सीएम मोहन यादव ने भी दुख जताया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा 'वत्सला' का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा. पन्ना टाइगर रिजर्व में दोपहर 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली. वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं, टाइगर रिजर्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिए रहीं. उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल भी की. वह आज हमारे बीच नहीं है, पर उसकी स्मृतियां हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी.'वत्सला' को विनम्र श्रद्धांजलि!.
(ब्यूरो रिपोर्ट)
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