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कॉरिडोर कंजर्वेशन प्लानिंग पर दो दिवसीय मंथन,पार्क प्रबंधन सहित कई जिलों के वन अधिकारियों ने लिया हिस्सा।

कॉरिडोर कंजर्वेशन प्लानिंग पर दो दिवसीय मंथन,पार्क प्रबंधन सहित कई जिलों के वन अधिकारियों ने लिया हिस्सा।




उमरिया। बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया और वाइल्डलाइफ कॉरिडोर समूह के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को ताला में दो दिवसीय कॉरिडोर कंजर्वेशन प्लानिंग"कार्यशाला की शुरुआत की गई ,जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में शुभरंजन सेन मुख्य वन प्राणी अभिरक्षक, मध्य प्रदेश भोपाल सहित कार्यक्रम में डॉ. अनुपम सहाय, क्षेत्र संचालक, बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व, प्रकाश वर्मा उप-संचालक बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व की उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजित किया गया,कार्यशाला में 75 अतिथि विभिन्न क्षेत्रों से शामिल रहे, जिसमें उप-संचालक संजय टाइगर रिजर्व, संचालक गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व, वनमंडलाधिकारी सीधी, वनमंडलाधिकारी उत्तर शहडोल, दक्षिण शहडोल, विभिन्न वनमंडल के उप-वनमंडलाधिकारी, और एस .एफ आर.आई. जबलपुर के वैज्ञानिक, वेटनरी डॉक्टर ,फील्ड बायोलॉजिस्ट एन. जी . ओ . समूह से डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ., W.R.C.S., W.T.I., T.C.F., World Tigher, W.C.C.I., W.C.T. आदि के प्रतिनिधियों और विभिन्न वन मंडलों के विभिन्न वन परिक्षेत्र अधिकारियों ने कार्यशाला में भाग लिया।




कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बाघ आरक्षित और क्षेत्रीय डिवीजनों में मौजूदा गलियारा प्रबंधन रणनीति पर अवलोकन करना रहा,पहले से चिन्हित वन्य प्राणी गलियारे के बेहतर प्रबंधन एवं गलियारे संरक्षण योजनाओं (टीसीपी) के सफल क्रियान्वित करना। विभिन्न क्षेत्रीय प्रभागों, टाइगर रिज़र्व और अन्य विभागों के बीच बेहतर समन्वय तैयार करना,वन विभाग, गठबंधन, संरक्षणवादियों, और अन्य विभागों में काम करने वाले वैज्ञानिकों द्वारा सह-विकसित सिफारिशें, टीसीपी के गलियारे अनुभाग के सुधार करते हुए बेहतर कार्यान्वयन के लिए, और क्षेत्रीय डिवीजनों और लाइन विभाग के साथ नियमित प्रबंधन में गलियारे की चिंताओं को शामिल करना। और मुख्य रूप से गलियारे के प्रबंधन सामूहिक रूप से रणनीति को तैयार करना।

कार्यशाला के पहले दिन, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक द्वारा कॉरिडोर के संरक्षण और महत्व व आवश्यकता पर जोर दिया गया। विभिन्न अधिकारी, वैज्ञानिक, गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा वन्यप्राणी गलियारा के प्रबंधन रणनीति के रखरखाव के साथ टाइगर रिजर्व और क्षेत्रीय डिवीजन से जुड़े गलियारों पर संरक्षण पर जोर दिया गया।
यह भी बताया गया है की इस कार्यशाला में बनाई गई रणनीति को भविष्य में सफल तरीके से वन्यप्राणी प्रबंधन हेतु कॉरिडोर को संरक्षित किया जा सके और भविष्य में अपेक्षित परिणाम प्राप्त किया जा सके। जिससे बांधवगढ़ , संजय , एव गुर घासी दास टाइगर रिज़र्व के गलियारे को भविष्य की आवश्यकता के आधार पर वन्य प्राणी सुरक्षा हेतु विकसित किया जा सके।
(ब्यूरो रिपोर्ट)



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