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ग्राम औढ़ेरा में मारवा टोला सात कोयला खदान की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई संपन्न,प्रभावित ग्रामों के रहवासियों ने रखी अपनी समस्याएं।



ग्राम औढ़ेरा में मारवा टोला सात कोयला खदान की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई संपन्न,प्रभावित ग्रामों के रहवासियों ने रखी अपनी समस्याएं।





उमरिया।जिले के आदिवासी बाहुल्य पाली ब्लॉक अंतर्गत ग्राम औढ़ेरा के पंचायत भवन प्रांगण में शनिवार को भारत सरकार द्वारा स्वीकृति मोरवा टोला सात कोयला खदान की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई का आयोजन किया गया,जिले के अपर कलेक्टर शिव गोविंद सिंह मरकाम,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी मुकेश श्रीवास्तव की मौजूदगी में मारवा टोला सात की आधिकारिक रामा सीमेंट इंड्रस्टीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कोयला खदान की स्थापना को लेकर बेसिक जानकारी प्रदान की,जिसमे बताया गया कि मारवा टोला सात कोयला खदान में ओपन कास्ट एवं भूमिगत कोयले का उत्खनन किया जाएगा,जिसकी उत्पादन क्षमता 1.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष जिसमे ओपनकास्ट द्वारा 1.5 मिलियन टन एवं भूमिगत द्वारा 0.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष का है, मारवा टोला कोयला खदान में चार गांव आमगार, ओढ़ेरा, रौघड़,एवं मालाचुआ,प्रभावित ग्राम हैं,1200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में भूमिगत एवं ओपेनकास्ट के माध्यम से कोयले का उत्खनन किया जाएगा।

ग्राम औढ़ेरा में मारवा टोला सात कोयला खदान की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई संपन्न,प्रभावित ग्रामों के रहवासियों ने रखी अपनी समस्याएं।
लोक सुनवाई के दौरान चारों गांवों से आए ग्रामीणों सहित जनप्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए मुख्य रूप से जिला पंचायत सदस्य हेमनाथ बैगा,उपाध्यक्ष जनपद पंचायत पाली अवधेश प्रताप सिंह,ग्राम रौघड़ निवासी दीपा सिंह,मानवेंद्र सिंह,रजनी सिंह, अकरम,प्रतीक सिंह गहरवार रविकांत द्विवेदी मनोज मिश्रा एवं ग्राम पंचायत औढ़ेरा के पूर्व सरपंच पुरुषोत्तम सिंह ने अपने विचार रखे।

आयोजन के आखिरी में जनता एवं जनप्रतिनिधियों की तरफ से आई समस्याओं के निराकरण के बारे में कंपनी के महाप्रबंधक अजीत सिंह सोडा ने कंपनी और भारत सरकार के नियमों के तहत पूरा करने का भरोसा दिया गया।

ग्राम औढ़ेरा में मारवा टोला सात कोयला खदान की पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई संपन्न,प्रभावित ग्रामों के रहवासियों ने रखी अपनी समस्याएं।





रोजगार,मुआवजा और पर्यावरण पर केंद्रित मांग।


लोक सुनवाई दौरान ग्रामीणों की ओर से कंपनी से चारों गांवों के प्रभावितों के लिए स्थानीय को रोजगार,ग्रामों के विकास चिकित्सा शिक्षा की व्यवस्था,प्रभावित जंगल और पर्यावरण की स्थानीय स्तर पर ही पुनर्स्थापना,अकुशल श्रमिकों के लिए कौशल उन्नयन कर रोजगार प्रदान करने इसके अलावा प्रभावितों को उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है।

(ब्यूरो रिपोर्ट)

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