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बाघों के जीन पूल में गुणात्मक सुधार के लिए कॉरिडोर जरूरी,दो दिवसीय कारीडोर कंजरवेशन कार्यशाला का हुआ समापन।

बाघों के जीन पूल में गुणात्मक सुधार के लिए कॉरिडोर जरूरी,दो दिवसीय कारीडोर कंजरवेशन कार्यशाला का हुआ समापन।


मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के तीन टाइगर रिजर्व के बीच जंगली गलियारा विकसित करने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुआ दो दिवसीय मंथन,एमपी के संजय और बांधवगढ़ के साथ छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के बीच बनाया जाएगा जंगली कॉरिडोर,बाघ सहित अन्य वन्य जीवों के जीन पुल में विविधता लाने का प्रयास।


बड़ी खबर एमपी के उमरिया से है जहां के टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के तीन टाइगर रिजर्व को जंगली कॉरिडोर (गलियारा)से जोड़ने के लिए दोनों प्रदेश के वन अधिकारियों ने दो दिवसीय मंथन किया है,एमपी के संजय टाइगर रिजर्व सीधी एवं बांधवगढ़ टाइगर सहित छत्तीसगढ़ के गुरुघसीदास टाइगर रिजर्व के बीच जंगली गलियारा बनाए जाने की कवायत को लेकर देश भर के तीस एनजीओ के साथ तीनों टाइगर रिजर्व के अधिकारियों एवं कृषि,सिंचाई,बिजली,रोड एवं रेलवे विभाग के अधिकारियों के साथ दो दिवसीय साझा कार्यशाला का आयोजन किया गया,प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक टाइगर रिजर्व से दूसरे टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों के विचरण में आने वाली बाधाओं पर चिंतन कर उसका हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है,बता दें बाघ सहित अन्य वन्य जीवों के जीन पुल में गुणात्मक सुधार के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन की पहल पर यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है,दो दिवसीय कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव 

बाघों के जीन पूल में गुणात्मक सुधार के लिए कॉरिडोर जरूरी,दो दिवसीय कारीडोर कंजरवेशन कार्यशाला का हुआ समापन।

हम आपको बता दें कि टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में विचरण करने वाले बाघ सहित अन्य वन्य जीव पूर्व में जंगली गलियारे का प्रयोग कर एक टाइगर रिजर्व से दूसरे टाइगर रिजर्व पहुंच जाते थे लेकिन विकास की यात्रा के दौरान इनके मार्गों में बड़े बड़े बांध,राजमार्ग ,रेलवे और जंगलों में आतिक्रमण होने से वन्य जीवों का विचरण सिकुड़ गया जिससे वन्य जीवों के जीन पुल में नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है,और किसी भी वन्य जीव के विलुप्त होने की मुख्य वजह भी जीन पूल में पाई जाने वाली विविधता का समाप्त हो जाना होता है ।

बाघों के जीन पूल में गुणात्मक सुधार के लिए कॉरिडोर जरूरी,दो दिवसीय कारीडोर कंजरवेशन कार्यशाला का हुआ समापन।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या का अनुपात अपेक्षित जंगल से क्षेत्रफल से काफी ज्यादा है लिहाजा इनका अस्तित्व बचाए रखना पार्क प्रबंधन और वन महकमे के सामने एक बड़ी चुनौती है देखना होगा कि बाघों के सरंक्षण के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन महकमे का दो दिवसीय मंथन बाघों का अस्तित्व बचाए रखने के लिए अमृत की बूंदे निकालने कितना कारगर साबित होता है।
(ब्यूरो रिपोर्ट)


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